Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
लाल चौक बुला रहा हमें, तिरंगा फहराने को
सिहासन के बीमारों ,कविता की ललकार सुनो। छप्पन ऊंची सीना का उतर गया बुखार सुनो। कश्मीर में पीडीपी के संग गठजोड किये बैठे हैं। राष्ट्रवाद…
प्रभु अब तो बुला ले
प्रभु अब तो बुला ले प्रभु अब तो अपने पास बुला ले छल -कपट की इस दुनियाँ में क्या बचा अब काम हमारा जहां जहान…
मेरी गाँव मुझे बुला लो
मेरी गाँव मुझे बुला लो, मुझे अकेलपान अच्छा नही लगता मुझे बोला लो।। बुढ़े को खिजलाना खटीया इधर उधर करना,, ये मुझे याद आती मेरी…
nice bro
Shi
बहुत सुंदर जी