Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कविता : इंसान ईश्वर के रहस्य को समझ पाया नहीं है
मौत के बाद क्या है किसी ने जाना नहीं है प्रकृति को क्यों किसी ने पहचाना नहीं है आखिर मृत्यु के रहस्य को ईश्वर ने…
मिजाजे यार ने हैरत में डाल रखा है
मिजाजे यार ने हैरत में डाल रखा है रकीबो से ये जो रिश्ता कमाल रखा है सुब्ह से शाम तलक ख्वाहिशों को पाला है ए…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
कविता : इन्सान नहीं मिल पाया है
हर मन्दिर को पूजा हमने भगवान नहीँ मिल पाया है इस भूल भुलैया सी दुनिया में इन्सान नहीं मिल पाया है || हर व्यक्ति स्वार्थ…
Waah
वाह बहुत सुंदर