उसकी नज़रों की

उसकी नज़रों की तलाशी में
मेरे किरदार बदले से मिले
मैं ढूंढ़ता रहा उसकी आँखों में
चंद कतरे पर जमे से मिलें
राजेश’अरमान’

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

उसकी नज़रों की

उसकी नज़रों की तलाशी में मेरे किरदार बदले से मिले मैं ढूंढ़ता रहा उसकी आँखों में चंद कतरे पर जमे से मिलें राजेश’अरमान’

किरदार

खुद की भावनाओं से रिश्ता टूटता रहा, एक नया किरदार अंदर ही अंदर बनता रहा। रिश्तों से रिश्तों तक का सफर तय होता रहा, एक…

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