Site icon Saavan

कठपुतली

कठपुतली तो देखी होगी ना….
हाँ, वही काठ की गुड़िया।
जिसकी डोर रहती है सूत्रधार के हाथों में,
वह अपनी उँगलियों से जैसे चाहे,
उसे नचाता है….
दर्शकों को भी आनन्द आता है।
लगता है कि उसमें जान है,
लेकिन, कहां….
वह तो बिल्कुल बेजान है।
नाचती रहती है सूत्रधार के इशारों पर केवल।
इशारों पर नाचोगे,
तो नचाएगा यह जमाना…
हे प्रभु, कभी किसी को किसी की कठपुतली न बनाना।।
_______✍️गीता

Exit mobile version