Categories: शेर-ओ-शायरी
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आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं…
सुखद हो जीवन हम सबका क्लेश पीड़ा दूर हो जाए स्वप्न हों साकार सभी के हर्ष से भरपूर हो जाएं मिलन के सुरों से बजे…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जिसको जरूरत होती है….
जिसको जरूरत होती है वही साथ चलता है बिन जरूरत वाला तो बस तनक़ीद करने को ही मिलता है। अपना मतलब न सोचे दूसरे…
है चाह मिलूं उससे जो अक्सर
गजल है चाह मिलूं उससे जो अक्सर नहीं मिलता | दीवार घरों में है मगर घर नहीं मिलता | ये आप भी देखें है कि…
आश्ना कब तेरे शहर
आश्ना कब तेरे शहर में कोई मिलता है जिसको देखो वो अजनबी सा मिलता है हमने देखी है इस जहाँ में ऐसी दरियादिली बिन मांगे…
true
Nice