कुलदीपक
मेरे कुल का दीपक तुझसे छाया प्रकाश है
आया है तू जबसे आलोकित आकाश है ।
बहनों की तू आशा माता का लाल है
सबो की तू आशीष से चमका तेरा भाल है
सलामत रहें तू हम सबकी जान है
तुझसे दूर हम सबका जीना मुहाल है
करेगा कुल का नाम रौशन, हमें विश्वास है ।।
छल-प्रपंच से तू हमेशा बच के रहना
सत्य की जीत होगी, यह गाँठ बाँध लेना
खुद के बलबूते, तू हर कीर्तिमान रचना
मन्जिल दूर है, पर मुमकिन तलाश है ।।
बहुत खूब
सादर धन्यवाद
बहुत सुन्दर
बहुत अच्छी कविता