बसता है कहीं

गर कोई मुझसे पूछे कभी बता मन तेरा बसता है कहीं झट से मैं बोल दूं मगधेश की गौरवमई परम्परा समेटे है जहां बस वहीं।।…

तेरे लिए

गुम कर दिया तेरे प्यार में पर फिर भी यही सवाल रहा क्या करती हो मेरे लिए। छोङ दिया अपनी पसंद भूल गयी क्या था…

पितृ दिवस

आपने बहुत किया हमारे लिए काबिल बनाया, जी सकूं, न सिर्फ़ अपने लिए काम आऊं, कुछ कर पाऊं मैं, आपके लिए सहारा बनके नहीं,साथ रहूं…

विरासत

विरासत जिन्दगी की मिली है जो हमको समझ पाने में अक्षम कैसे बतलाये तुमको। खुली हवा में जीना स्वचछ सांस लेना निर्मल था पानी उसे…

आसान नहीं

समूची इंसानियत के हक-हकूक की बात ऊंचे-ऊंचे ओहदे पर आसीन जनों की असली औकात भुला पाना आसान नहीं। बदतरी में बेहतरी‌ तलाशने की नाकाम‌ कोशिश…

महामना मालवीय

हिम किरीटनी, हिम तरंगनी, युग चरण के रचयिता हे साहित्य देवता है ऋणि हम,‌करते है अर्पित श्रद्धा-सुमन, साहित्यअकादमी से विभूषित,शोभित पद्यभूषण तेरा यश है फ़ैला,…

नव आरंभ

आज वही दिन है जब‌ मेरी मुझसे पहचान हुई मुझमें भी है लेखन क्षमता इक नई खूबी की आभास हुई मेरे अल्फ़ाज़ मेरी ख़ामोशी की…

रूपरेखा

ख़ुद पर ऐतवार कर पर भूलकर भी न किसी पर विश्वास कर। खुद के ही बल पर अपने जीवन की रूपरेखा तराश कर।। कब कोई…

बता तो दो

बता तो दो क्यू तुम ऐसे हो, मेरे होकर भी परायों से कमतर हो। यक़ीनन दोष हममें, दुनियादारी की बूझ नहीं आकलन करें कैसे, रिश्ते-…

तुम्हारे लिए

यह जीवन मेरा रहा है समर्पित हां बस तुम्हारे लिए। अपनी इच्छाओं के पंखों को अपने ही इन दोनों बाजुओं से टुकड़ों में बांट बिखेरा…

भारत कोकिला

हे भारत कोकिला! मुबारक हो तुम्हें जन्मदिन तुम्हारा। वतन के लिए कर खुद को समर्पित जीवन तेरा स्वतंत्रता को अर्पित हैदराबाद में जन्मी अघोरनाथ की…

स्मृति शेष

ईमेल, चैटिंग ही अपना भविष्य क्या हस्तलेखन अब है स्मृति शेष ? नववर्ष का कार्ड नहीं प्रेमपत्र लेखन स्वीकार नहीं कलम कागज का जमाना बना…

देख लिया

देख लिया दुनिया तुझको अब और नहीं कुछ चाहत है, हर तरफ चेहरे पर एक चेहरा है अपनों से ही हर जन आहत है। अब…

अपना गणतंत्र

अपनी तमाम विषमताओं के साथ अनगिनत विविधताओं के बावजूद सबसे माकूल व्यवस्था है ‌अपना गणतंत्र। इस बदलते समय की बस यह मांग है लोक के…

सेना दिवस

15 जनवरी की पावन तिथि, सेना दिवस है आज चलो शपथ ले, कल पर छोङे न कोई काज। आत्मनिर्भर बनें, परनिर्भरता का करें त्याग नयी…

मैं, मैं न रहूँ !

खुशहाल रहे हर कोई कर सकें तुम्हारा बन्दन। महक उठे घर आँगन, हे नववर्ष! तुम्हारा अभिनन्दन।। दमक उठे जीवन जिससे वो मैं मलयज, गंधसार बनूँ…

ऐ वक़्त

ऐ वक़्त ढूँढ लायेंगे तुम्हें । खो दिया उन क्षणों को कयी स्वप्न सुनहले पलते थे खौफजदा उन पलक को जिनमें ख़ौफ के मंज़र तैरते…

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