कोई साया भी न लिपटा ऐसे

कोई साया भी न लिपटा ऐसे
जैसे लिपटी तेरी तन्हाई

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

तन्हाई

बैठा हुआ था मैं निरुत्तर सा होकर, कि किसी की आवाज़ आई पूछा, तो कही, मैं हूँ “तन्हाई” आपका साथ निभाने को आई शून्यता सी…

Responses

New Report

Close