कोरोना काल मे

मत अजमा मेरी मोहब्बत को
तेरी एक झलक पाने को,
सौ बार तेरी गलियों से गुजरा हू,

जब सब छोड़ दिये शहर को-
कोरोना का काल मे,
तेरी कसम ! तुझसे मिलने के लिए
सौ बार पुलिस का डंडा खाया हूं|

अब भी तुझे यकीन नहीं,
एक दिल दर्द बयां करता हूँ,
जब सब जगह बन्द पड़ा था…
आना जाना,
जब राशन मेरा खत्म हुआ,
कई रात मै बिस्किट खाकर-
कई रात मै भुखे पेट ही सोया हू|

बस यह आशा लेकर जीता था
एक दिन समझ तुम जाओगी
किसी मोड़ पर मिल जाओगी

नित रो रो कर मै सोता था,
कई बार रुम मालिक आकर –
समझाता था,
मत रो बेटा …..
तेरे प्यार के –
ना काबिल है
एक दिन वह भी रोयेगी,
तेरे जैसा ही खुद किसी से धोखा पायेगी|
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
——ऋषि कुमार “प्रभाकर”———

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