क्या जालिम अदा है तेरी
यूँ अरमानों की डोली उठ गई
प्यासे नैनों की प्यास बढ़ गई
जब देखा तुम्हें दूसरे की बांहों में
मेरी तो मय्यत उठ गई ।
क्या जालिम अदा है तेरी
कि सब कुछ लुटा दिया हमने
अब तो हुस्न के नजारे
सिर्फ सपनों में ही दिखाई देते हैं
तकदीर से ज्यादा इतना मिला मुझको
अब कोई तमन्ना बाकी न रही
बांके बिहारी के चरणन की धूल मिल जाये।
जिंदगी बिंदास गुजर जाये
– रीता अरोरा
Kya khoob likha hai