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क्या होगा. . . . . .❤

क्या होगा. . . . . .❤

कभी सोचा है, कि जब तुझको, मेरी याद आई तो क्या होगा;

ना हम होंगे, ना तुम होगे, और ना तन्हाई तो क्या होगा !

 

कि आकर लफ्ज़ होठों तक, पलट जायेंगे मुमकिन है;

किसी से कह दिया, और हो गयी, रुस्वाई तो क्या होगा!

 

करोगे जज़्ब कैसे तुम, जो कहना ना हुआ मुमकिन;

ख़ुशी की महफ़िलों में आँख, भर आई तो क्या होगा!

 

ये माना जीतने का हुनर है, तुम्हारे पास मोहब्बत में;

पर सोंचते हैं, गर किसी से, शिकश्त पायी तो क्या होगा!

 

रखो बेशक हमारी खामियों का, गुनाहों-सा तुम हिसाब;

कभी सोंचा है, जब तुम्हारी, ज़फाएँ सामने आयीं तो क्या होगा!!. . . . . #अक्स

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