खामोश ज़ुबां की बेताबी
Kavi “MaN”
खामोश जुबां की बेताबी
सुनो कभी तुम ज़रा सी
बाहर सिर्फ़ जूठी हंसी है
अंदर भरी है उदासी
दिल की दस्तक तो तुम सुनो
आँखों की नमी जरुरी
देखा है कभी तुमने चाँद को,
छीन जाये जब इसकी चाँदनी
कुछ ऐसा महसूस मुझको होता है
तेरे बगैर ज़िन्दगी की ये बेबसी
खामोश जुबां की बेताबी
सुनो कभी तुम ज़रा सी
बाहर सिर्फ़ जूठी हंसी है
अंदर भरी है उदासी
Nice
behatreen 🙂
lajabaab
वाह बहुत सुंदर