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गंगा बहती है जहाँ

गंगा बहती है जहाँ
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रीषिमुनियो की तपोभूमि बसती हैं वहाँ
सबसे पावन भूमि है मेरी गंगा बहती है जहाँ ।।
हरदिन से जुड़ी एक कथा, बयां होती है जहाँ
हर कथा नैतिकता की पाठ पढाती हैं जहाँ
बर, पीपल, शमी, तुलसी की पूजा होती जहाँ
हे राम! के नाम से गुन्जित हर सुबहा है जहाँ
सबसे पावन भूमि है मेरी गंगा बहती है जहाँ ।।
प्रकृतिदृश्य की छटा इतनी निराली है जहाँ
पठार, पहाङ, मैदान, मरूभूमि से सजी धरा है जहाँ
हर धर्म, हर जाति, हर नस्ल के लोग बस्ते हैं जहाँ
बोली-भाषाओं में, रीति-रिवाजों में विविधता है जहाँ
मेरी मातृभूमि है वो गंगा बहती है जहाँ ।।
मेरे देश के नाम का, जहाँ में सागर बहता
जिसके चरणों को धोकर, जो पावन होता
देवता, किन्नर को भी ललक है जहाँ आने की
भूमि है नानक, पैगम्बर, राम कृष्ण मनभावन की
मेरी कर्मभूमि है वो गंगा बहती है जहाँ ।।
यहाँ हर कथा नैतिकता की पाठ सिखाती है
गर्भ में भी शिक्षण का महत्व बताती है
जन्म से पूर्व ही संस्कार शुरू हो जातें हैं
माँ-बाप की सेवा को, पूजा से बङा बताते हैं
पावन भूमि है वही, गंगा बहती है जहाँ ।।
बालपन की भूल को भी, नहीं भुलाते हैं
मित्र का कर्ज, सर्वस्व देके प्रभु चुकाते हैं
भक्त के भाव में, प्रभु सारथी बन जाते हैं
कर्म करने का पाठ, युद्धभूमि में सिखाते हैं
हाँ यह वही भूमि है, गंगा बहती है जहाँ ।।
सुमन आर्या

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