चंद लकीरों में बसी बचपन की सारी यादें
वो स्कूल का यूनिफार्म,
वो काले, और सफ़ेद पीटी के जूते,
वो टाईमटेबल के हिसाब से किताबें रखना,
वो माँ के हाथों से बनी टिफ़िन,
वो पापा से डायरी का छुपाना,
वो दोस्तों की शरारतें,
वो टीचर का डांटना,
वो बेपरवाह भागना, दौड़ना,
वो सब भूल तो नहीं गए?
वो सब याद है कि नहीं?
– Udit Jindal
Nice
Thanks manohar ji
Thanks Manohar ji
bachpan ki yaad dila di janaab aapne
Thanks Sridhar ji
nice poem
Thanks Ajay ji
bahut khoob 🙂
Good
वाह बहुत सुंदर