चिपको आन्दोलन की शुरुआत 1970
में सुंदरलाल बहुगुणा, गौरा देवी,
कल्याण सिंह रावत पर्यावरणविद ने की।
वन विभाग के अधिकारियों को 2400 से अधिक
पेड़ काटने के आदेश पर खदेड़ा।
इसकी शुरुआत तत्कालीन ‘चमोली जिले’ से हुई ।
फिर धीरे-धीरे पूरे उत्तराखंड में फैल गई
इस की सबसे बड़ी बात यह थी
कि इसमें स्त्रियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था
और अपनी जान जोखिम में डालकर राज्य के वन अधिकारियों को पेड़ कटाई पर विरोध किया।
और पेड़ों पर अपना परंपरागत अधिकार जताया।
आज पर्यावरण दिवस पर हम ‘चिपको आंदोलन ‘की
इस घटना को कैसे भूल सकते हैं?
पेड़ हमारे लिए वास्तव में हमारे जीवन का आधार है
जो हमारे जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं को
पूरा करते हैं।
और हमें बहुत सी जड़ी बूटियां, लकड़ियां और जरूरत के सामान उपलब्ध कराते हैं।
हमें इन्हें नहीं काटना चाहिए।
बल्कि हमें उनके हो रहे अंधाधुंध कटाई को रोकना चाहिए।
और संकल्प लेना चाहिए कि वृक्षारोपण करेंगे और उनकी
रक्षा भी करेंगे।
आप सभी को पर्यावरण दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🙏
कवयित्री:- प्रज्ञा शुक्ला