जज्बा

एक बार ठान ले तो एक पर्वत है तू
जो अगर यूँ ही बीत जाने दे , तो रेत
जो एक आकार दे खुद को , तो एक मूरत है तू
जो बस यूँ ही छोड दे , तो गीली मिट्टी
जो तू चाहे तो खुद को रंगों में ढाल के इंद्रधनुष बन जा
जो बारिश के साथ बह जाये, तो मटमैला कर दे सब
तेरी किस्मत तेरे खुद के जज्बे से है
जज्बा रहा तो जिन्दादिली भी रहेगी
नहीं तो जिंदगी बिना जीवन सी रहेगी..
kya baat he
nice
सुन्दर रचना