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जिंदगी बेवक्त मशरूफ रहती है

आजकल फुर्सत
नहीं होती है
जिंदगी बेवक्त मशरूफ रहती है…
त्योहार का मौसम है
मगर जाने क्यूं !
होंठों पर खामोशी पसरी रहती है…..
है चारों ओर रिश्तों का
ताना-बाना
पर दिल में मायूसी
फैली रहती है….
रात होती है जब
तो चाँद गगन में आता है
सबकी छतों पर रजत
पिघली रहती है…

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