जिंदगी बेवक्त मशरूफ रहती है
आजकल फुर्सत
नहीं होती है
जिंदगी बेवक्त मशरूफ रहती है…
त्योहार का मौसम है
मगर जाने क्यूं !
होंठों पर खामोशी पसरी रहती है…..
है चारों ओर रिश्तों का
ताना-बाना
पर दिल में मायूसी
फैली रहती है….
रात होती है जब
तो चाँद गगन में आता है
सबकी छतों पर रजत
पिघली रहती है…
बहुत ही सुन्दर भाव पूर्ण रचना
धन्यवाद
वाह, मन के भावों को व्यक्त करती हुई बहुत सुंदर कविता, लाजवाब
धन्यवाद
Very nice
धन्यवाद
अत्यंत लाजवाब और बेहतरीन अभिव्यक्ति
धन्यवाद
सुंदर