जो यादों में बसा है
जो यादों में बसा है ,उसे वहीँ रहने दो
मेरी दी हुई हिचकिओं में, उसे रहने दो
आज साकी तू रुख से पर्दा नहीं नक़ाब उठा
मैखाने के बातें बस मयखानों तक रहने दो
किसने देखे है कितने ज़माने हिसाब न कर
मेरे ज़ख्मों के जमाने बस साथ रहने दो
कोई पूछे सबब फिर तन्हाई का तो कह देना
मेरी तन्हाई मेरी दवा है जिसे बस रहने दो
मुद्दत हुई कोई नया गम न पा सके ‘अरमान’
अपने ज़ख्मों के खजाने , यूँ न पड़ा रहने दो
राजेश’अरमान ‘
कोई पूछे सबब फिर तन्हाई का तो कह देना
मेरी तन्हाई मेरी दवा है जिसे बस रहने दो …………….nice
thanx vijay ji
वह हो तुम