टूटते क्यों नहीं Raju Pandey 4 years ago टूटते क्यों नहीं सत्ता के पाषाण ह्रदय तटबंध उन आँसुओं के सैलाब से जो बहते है गुमसुम बच्चों की खाली थाली देखकर जब चीख उठते हैं पैरों के बड़े बड़े लहूलुहान चीरे फटे कंधे साहस दिलाते फिर कल की उम्मीद में सो जाते है पीकर उन्हीं अश्रुओं को …