तुम एक परिणाम हो

तुम एक परिणाम हो
तुम क्रिया नहीं हो
सृष्टि एक क्रिया
है जो रची गयी है
रचने की क्रिया
एक अलोकिक सत्य है
प्रकृति ,पानी .वायु ,अग्नि
सब परिणाम है
बस तुम्हारी तरह
तुम भयभीत क्यों हो ?
परिणाम के पश्चात
कुछ नहीं होता
न भय ,न प्रश्न
सृष्टि जब -जब
रची जाएगी
तब-तब तुम
उसके परिणाम होगे
क्योकि?
तुम एक परिणाम हो

राजेश’अरमान’

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