तेरा सादा-दिली से

तेरा सादा-दिली से ज़ख्म देना लाजमी है
बेरुखी से तो हम मुस्तैद हो जाते
राजेश’अरमान’

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श्रृंगार की रचना

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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

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