तेरे पैरो की धूल जबसे लगाई है माथे पर
✋✋✋✋✋माँ का आशीर्वाद✋✋✋✋✋
तेरे पैरो की धूल जबसे लगाई है माथे पर
जहाँ की हर चमक अब सामने जुगनूँ सी लगती है
मेरी औकात क्या है कुछ नही है इस जमाने मे
वो तो माँ की दुआ है , शाह बनकर घूमता हूँ मै
जहाँ मे कुछ नही ऐसा जो कि झकझोर दे मुझको
वो बस इक माँ के आसूँ है जो दिल को तोड़ देती है
हजारों मुश्किले तूफां गिराना चाहते मुझको
वो तो माँ की दुआयें है , जो सबको मोड़ देती है
दौलते लाख दुनियाँ की खड़ी कर दो जहाँ मे तुम
जहाँ है कर्ज ममता का , वहाँ सब राख जैसी है
Akhilendra tiwari S.R.V.P. GONDA
Nice
वाह