दिल

न समझे थे।हम
दिल का खेल
जुबा पे कुछ और दिल में मैल
अब समझ आया ये सब है भोरेसे
का खेल।
उनकी नज़रो के हम कायल हुए थे।
तब ज़माने से हम घायल हुए थे।
बहुत देर बाद समझ आया।
हम तो बस उनके दिल बहलाने
के काम आए थे।
प्यार तो बस धोखा है
न समझे थे।हम
दिल का खेल
कवि:-अविनाश कुमार
sundar 🙂
nice one!!
अदभूत काव्य रचना
Good One!
बहुत सुंदर