खुशियों का मतलब पटाखे नहीं,
रोशनी और उल्लास है।
ना समझो गलत बंद करना इन्हें,
प्रदूषण का यह सब सामान है।
पहले ही प्रदूषण से बेदम है आबोहवा
उस पर इस दिन चहु ओर
फैला होता बस धुआं धुआं
हफ्तों तक पटाखों की धुंध में
धूयेऔर घुटन से दम निकला ही जाता है।
निमिषा सिंघल