दीदार-ए-नजर जो हो गयी है

दीदार-ए-नजर जो हो गयी है!

आज कयामत़ सी हो गयी है!

हसीन लम्हों में उलझा हूँ मैं,

जिन्दगी ख्वाबों में खो गयी है!


जी रहा हूँ मैं तेरी यादों को लेकर!

दर्द़ बन गया हूँ मैं मुरादों कोलेकर!

खोजता हूँ हरतरफ़ मंजिलों को अपनी,

‪‎हालात के भँवर में इरादों को लेकर!


जागी है इसतरह से तेरी कामना!

जाँम को लबों से हो जैसे थामना!

बर्फ सी पिघल रही है हसरतें मेरी,

ख्वाब का हो आग से जैसे सामना!

Written By ‪#‎महादेव‬

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Responses

  1. जागी है इसतरह से तेरी कामना!
    जाँम को लबों से हो जैसे थामना!
    बर्फ सी पिघल रही है हसरतें मेरी,
    ख्वाब का हो आग से जैसे सामना!
    वाह बहुत खूब

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