Satish Pandey
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Satish Pandey commented on the post, प्रमाण 3 hours, 27 minutes ago
बहुत खूब, अति सुन्दर रचना
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Satish Pandey commented on the post, *कागज़ की कश्ती* 3 hours, 28 minutes ago
“कागज़ की कश्ती” बहुत सुंदर कविता, बहुत लाजवाब भावाभिव्यक्ति
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Satish Pandey commented on the post, साथ 3 hours, 30 minutes ago
कवि गीता जी की सुन्दर अभिव्यक्ति। अति उत्तम रचना
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Satish Pandey commented on the post, *राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई* 3 hours, 32 minutes ago
बालिका दिवस पर बहुत सुंदर रचना। सुन्दर भाव सुन्दर शिल्प
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Satish Pandey wrote a new post, धन उतना हो पास में 10 hours, 12 minutes ago
धन उतना हो पास में
जितने से हो शांति,
उस धन से क्या फायदा
मन में रहे अशांति।
शांति नहीं गर जिगर में
खो जाती है कांति
उल्टा-सीधा धन कमा
आ जाती है क्लान्ति।
जीवन भर संचित करे
खाऊंगा कल सोच,
खाते समय उदर न […] -
Satish Pandey commented on the post, जख़्म 12 hours, 23 minutes ago
बहुत सुंदर रचना, वाह
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Satish Pandey commented on the post, अभिलाषा 12 hours, 24 minutes ago
ये सृष्टि हर क्षण अग्रसर है
विनाश की ओर…
स्वार्थ, वासना और वैमनस्य की बदली
निगल रही हैं विवेक के सूर्य को..!!
——- बहुत सुंदर पंक्तियाँ, बहुत सुन्दर रचना -
Satish Pandey commented on the post, मुझे वरदान दो 12 hours, 25 minutes ago
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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Satish Pandey commented on the post, जनवरी की ठंड है 12 hours, 25 minutes ago
सुन्दर अभिव्यक्ति
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Satish Pandey wrote a new post, पैदा कर लो आग 20 hours, 55 minutes ago
अपनी आदत बदल कर,
पाओ खूब सुकून।
रोज सीखना है नया,
ऐसा रखो जुनून।
सोते समय नहीं कभी,
हो उलझन में ध्यान,
कभी कभी तलवार को
दे दो उसकी म्यान।
गुस्सा छोड़ो आप भी
नींद निकालो खूब
कभी कभी आनन्द लो
तु […] -
Satish Pandey wrote a new post, पैदाइशी समझदार तो 21 hours, 40 minutes ago
पैदाइशी समझदार तो
हम भी न थे,
मगर परिस्थिति ने
समझने लायक बना दिया
पैदाइशी जिम्मेदार तो
हम भी न थे,
मगर छोटी सी उम्र में
आई जिम्मेदारी ने
जिम्मेदारी उठाने लायक बना दिया।
हमारी उम्र के बच् […] -
Aryan Yadav2001 and
Satish Pandey are now friends 21 hours, 43 minutes ago
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Satish Pandey wrote a new post, आलस अब तो नैन से 1 day, 11 hours ago
आलस अब तो नैन से, दूर चले जा दूर,
आने दे अब ताजगी, आने दे अब नूर।
आने दे अब नूर, बिछी सूरज की किरणें,
नई रोशनी आज, ला रही मेरे मन में।
कहे लेखनी नींद, अभी तू दूर चले जा,
रात मिलेंगे अभी कहीं तू दूर चले जा। -
Satish Pandey wrote a new post, सच का चिमटा साथ हो 1 day, 20 hours ago
आप इतने निडर बनो, डर डर से भग जाय,
सच का चिमटा साथ हो, भूत स्वयं भग जाय।
आगे ही बढ़ते रहो, पीछे मुड़ो न आप,
सच की माला हाथ में, राम नाम का जाप।
जोर लगाओ रगड़ में, दो पाथर के बीच,
पाथर का पानी करो, पथ को डाल […] -
Satish Pandey commented on the post, कविता : हौसला 1 day, 21 hours ago
हौसलों के द्वारा ही मानव
विजयपथ पर गतिवान है
हौसले की ताकत इस दुनियां में
सचमुच बड़ी महान है ||
———- कवि प्रभात सर आपकी यह कविता उच्चस्तरीय है। भाषा और शिल्प सब कुछ अदभुत। बहुत ही सुन्दर। -
Satish Pandey wrote a new post, कर क्षण का उपयोग तू 1 day, 21 hours ago
क्षण में जीना सीख ले, क्षण जाता है बीत।
रुकता नहीं एक भी क्षण, चलना इसकी रीत।
कर क्षण का उपयोग तू, पीछे की सब भूल,
अभी अभी है जिन्दगी, आगे पीछे शूल।
क्षण मत खोना बावरे, नशे-नींद में चूर,
जग जा पल पल […] -
Satish Pandey wrote a new post, खूबसूरत है नजारा 1 day, 22 hours ago
पास बैठे हो
बहुत ही खूबसूरत है नजारा
कैद करना चाहता है
इन पलों को मन हमारा ।
जिन्दगी की खुशी
सबसे बड़ी तो आप हो
आज आई है खुशी जब
आप बैठे पास हो।
थे कहाँ अब तक
रहे क्यों, दूर दिल की वाद […] -
Satish Pandey wrote a new post, यौवन की तकदीर (दोहा छन्द) 2 days, 2 hours ago
सच्चा सच में रह गया, ठगा ठगा सा आज,
आशा चोरी कर गये, अपने धोखेबाज।
जिनके मन में जम रहा, काले धन पर नाज,
वे भी आज सफेद से, खूब दिखे नाराज।
भूखा चूहा रेंगता, देख रहा है बाज,
सोच रहा है चैन से, पेट भरूँगा […] -
Satish Pandey wrote a new post, संदेश 2 days, 11 hours ago
पुराने मित्र मेरे! जिंदगी की,
हर ख़ुशी तुझको मिले,
तेरी खुशियों से निकल
कुछ तार मुझ तक भी
जुड़े हैं, ठण्ड से सिकुड़े हुए से,
बेरहम यादें संजोये,
गाँठ बांधी हो किसी ने
संवेदनाओं के गले में,
सिर्फ […] -
Satish Pandey commented on the post, सोच समझ के बोल 2 days, 21 hours ago
कवि अनु जी आपकी यह रचना बहुत ही बेहतरीन है। आपने संवेदनशीलता के साथ सशक्त भाषा के ज़रिए प्रभावशाली ढंग से काव्य रचना की है। पंक्तियाँ विचार, सम्प्रेषण और शिल्प के प्रतिमानों पर खरी उतर रही हैं। वाणी से निकले शब्द ही वास्तव में सम्मान या अपमान दिलाते हैं। बहुत सुंदर कविता। ऐसे ही खूब लिखते रहें।
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धन ही जीवन लक्ष्य है,
इतना भी मत सोच,
कमा स्वयं की पूर्ति को
और शांत रख चोंच।
*****कवि सतीश जी का धन और जीवन में सामंजस्य बिठाती बहुत ही उम्दा प्रस्तुति और अति उत्तम अभिव्यक्ति।