Satish Pandey
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Satish Pandey commented on the post, मुस्कुराना 2 days, 15 hours ago
सर्वश्रेष्ठ कवि, सर्वश्रेष्ठ आलोचक और सर्वश्रेष्ठ सदस्य सम्मान की बहुत बहुत बधाई गीता जी।
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Satish Pandey commented on the post, भोजपुरी पारंपरिक होली गीत – ये किसन कन्हईया | 3 days, 16 hours ago
चुनरिया रंग देला मारी पिचकरिया
ये किसन कन्हईया |
—— बहुत सुंदर पंक्तियां, बेहद मधुर भाव को समाहित करती उच्चस्तरीय कविता। -
Satish Pandey commented on the post, भटके हुए रंगों की होली 3 days, 16 hours ago
हरा, लाल, पीला, केसरिया रंगों की अपनी पहचान है।
इन्द्रधनुषी रंगों सा भारत देश महान है,
———– विभिन्नता में एकता ही भारत की पहचान है। यहां के नागरिक या विभिन्न प्रकार के स्थान आदि को विभिन्न प्रकार के फूलों की संज्ञा देकर सुन्दर कविता प्रस्तुत को गयी है। -
Satish Pandey commented on the post, ‘‘फितरत’’ 3 days, 23 hours ago
बहत खूब अति उत्तम रचना
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Satish Pandey commented on the post, सागर और सरिता 3 days, 23 hours ago
बोली तुम हो कुछ ख़ास।
ऐसा हुआ मुझे आभास,
विशाल ह्रदय है तुम्हारा।
फैली हैं दोनों बाहें
देख, हृदय हर्षित होता है।
आ जाती हूं पार कर के,
कठिन कंटीली राहें।।
—- वाह क्या बात है। आपकी कविता में अत्यंत गहरे भाव समाहित हैं। उत्तम शिल्प, खूबसूरत भाषा -
Satish Pandey commented on the post, फूलों की महफ़िल 3 days, 23 hours ago
जीवन की रंगीनी से सरोबार बेहतरीन रचना। बहुत सुंदर प्रस्तुति
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Satish Pandey commented on the post, बेटी 3 days, 23 hours ago
कन्या भ्रूण हत्या पर प्रहार करती कवि की बहुत सुंदर रचना गया यह। इस तरह की कविता मानव मन को झकझोर कर रख देती है। जिससे उसकी आंखें खुलती हैं और वह गलत करने से पहले कुछ तो जरूर सोचता है। बहुत सुंदर कविता
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Satish Pandey commented on the post, मैं-मैं व तूं तूं 3 days, 23 hours ago
सारे व्यापार को तेरा आधार
संबंधों में भी तुझसे ही है प्यार
तुझमें ही सब और सबमें प्रकट तूं
फिर भी सब में क्यूं भरा मैं मैं व तूं तूं
—– वाह क्या बात है। बहुत सुंदर पंक्तियां। बहुत सुंदर भाव -
Satish Pandey commented on the post, किसानों का किया है इन्हीं ने तो बुरा हाल 3 days, 23 hours ago
वर्तमान स्थिति पर कटाक्ष करती बेहतरीन रचना। समसामयिक चित्रण। कवि सोच व अभिव्यक्ति दोनों ही बिंदास हैं।
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Satish Pandey commented on the post, माँ 3 days, 23 hours ago
बहुत सुंदर रचना। माँ की ममता और पुत्र द्वारा ठुकराए जाने की सच्चाई का मार्मिक वर्णन किया गया है। बहुत लाजवाब कविता
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Satish Pandey commented on the post, एक अजन्मी की दास्तान 3 days, 23 hours ago
कन्या भ्रूण हत्या पर प्रहार करती बहुत सुंदर रचना। मानव जीवन मे व्याप्त बुराई को मार्मिक तरीके से उजागर किया गया है।
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Satish Pandey commented on the post, वजूद 3 days, 23 hours ago
सुन्दर रचना, सुन्दर भाव, बहुत खूब
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Satish Pandey commented on the post, रूपरेखा 3 days, 23 hours ago
देखो कैसी अजब घङी यह आई है,
अपनों से ही अपनेपन की लङाई है,
न स्वार्थ है फिर भी क्यूं ये खिंचाई है
मन है सूना- सूना, पलकें मेरी पथराई हैं
—– बहुत सुंदर रचना। बहुत सुंदर भाव। मन के कोमल भावों की सहज अभिव्यक्ति -
Satish Pandey commented on the post, सोंच अलग है 3 days, 23 hours ago
बहुत खूब, अति उत्तम रचना, भाव व शिल्प का बहुत सुन्दर समन्वय
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Satish Pandey commented on the post, भ्रम 3 days, 23 hours ago
बहुत सुंदर व उच्चस्तरीय रचना, वाह
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Satish Pandey commented on the post, चला चली का मेला 4 days, 6 hours ago
यह जग चला चली का मेला है
यहाँ किसी का नही ठिकाना है
फिर किस बात का घबराना है
बस इतना सा हमारा अफ़साना है
आख़िर इक दिन सबको जाना है।
——– जीवन दर्शन से जुड़ी बहुत सुन्दर रचना। बेहतरीन प्रस्तुति -
Satish Pandey commented on the post, कविता : समय का पहिया 4 days, 7 hours ago
समय का पहिया चलता है
चरैवेति क्रम कहता है
मानवता को तज कर मानव
खोटे सिक्कों में बिक जाता है ||
—– अति सुन्दर पंक्तियां, बहुत सुंदर प्रस्तुति -
Satish Pandey commented on the post, वह एक मज़दूर है 4 days, 7 hours ago
भवन बनाए आलीशान,
फ़िर भी उसके रहने को
नहीं है उसका एक मकान।
झोपड़पट्टी में रहने को मजबूर है
——- बहुत खूब, अति उत्तम रचना। -
Satish Pandey commented on the post, क्या पता .. 4 days, 7 hours ago
किस मोड़ पर मंज़िल
कर रही है इन्तज़ार,
क्या पता …
किस राह में हो जाए
——– बहुत ही सुंदर रचना। उच्चस्तरीय भाव। -
Satish Pandey commented on the post, जाने तुम कहां गये 4 days, 7 hours ago
अरमानों से सींच बगिया,
जाने तुम कहां गए।
अंगुली पकड़ चलना सीखाकर,
जाने तुम कहां गए।।
— बहुत मर्म भरी कविता। अत्यंत गहरे भाव, बहुत सुन्दर प्रस्तुति - Load More