Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
मैं मर्द कहाया फिरता हूँ
मैं मर्द कहाया फिरता हूँ, मैं मर्द कहाया फिरता हूँ चलता हूँ उल्टे राहों पर, लोगों को राह दिखाता हूं गड्ढों में गड्ढा खोदकर, मैं…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
खौफ आईने का
खौफ आईने का हर शक्ल पर भारी है हर शक्ल आईने के सामने आकर बिखर जाती है कुछ तो रहस्य छिपा है आईने में शक्ल…
फासलों का मंजर
फासलों का मंजर देख कुछ याद आया किसी अजनबी शहर सा बस ख्याल आया कोई शोर नहीं किया आईने ने उस वक़्त जब देख चेहरा…
धुंधले आईने में
धुंधले आईने में कोई अक्स नज़र नहीं आता वक़्त की सुईया पकड़ने से वक़्त ठेहर नहीं जाता वो चिरागों सा रोशन कभी एक नूर सा…
वाह