दोस्त

दोस्त
इक अजीब सा रिश्ता
पनपने लगा हम दोनों के बीच
इक दूजे के दर्द को
महसूस सा करने लगे
कुछ खट्टी कुछ मीठी सांसों का
बँटवारा भी रजा से करने लगे
कुछ प्यार से कम था
कुछ प्यार से ऊपर
सवालों के उलझे धागों को
सुलझाने में लगा रहता वो
न अहम न ही कोई ख़ास उम्मीदें
इक खून में भी कहा ऐसा रिश्ता
न कोई शिकवा न कोई रंजिश
मुझे इस दोस्ती पर नाज़ रहा
इस रिश्ते ने बचाया
दर्द की बूंदों से
दर्द की बारिशों से
सारी उम्र देता रहा तस्सलियां,
मेरे ही अंदर का इक और” मैं ”
राजेश’अरमान’

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Happy Birthday to You Mam

सब की ज़िन्दगी मे कोई ना कोई इंसान ऐसा होता है जो सब से खास, सब से प्यारा होता है। चाहे वो मम्मी या पापा,…

Responses

+

New Report

Close