Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया है
मां ये देखो कैसा चांद निकल आया ग्रह के गर्भ में लिपटा हैं बादलों में छुप छुप कर बैठा हैं डरा सहमा सा यह दिखता…
अदावत
ऐसे भी रफ़ीक़ जो कयामत ढाते हैं। दावत देकर वो अदावत निभाते हैं। जान बनाकर जान लेने की कोशिश की, ज़ख्मों का सेज देकर अयादत…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
कालचक्र मौत का
पाबंदियों की धज्जियां उङाते, सीधे-सीधे संक्रमण को आमंत्रण देने निकल पङे । गजब की परिस्थितिया, चारों तरफ मंडराते मौत के बीच खुद को चुनौती देने…
नया साल और मेरा प्यार
नया साल और मेरा प्यार….. अक्सर तेरे ख़्यालों में शाम हो जाया करती थी, अब एक साल और बीत चला तेरे इंतज़ार में, काश कि…
वाह