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“नहीं होता”

ღღ_वो चाँद जो दिखता है, वो सबको ही दिखता है;
महज़ देख लेने भर से ही, वो हमारा नहीं होता!
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दिन तो कट ही जाता है, कश्मकश में जिंदगी की;
तेरे बिन एक पल भी, रातों में गुज़ारा नहीं होता!!
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कैसे कह दूँ कि मुझे तुमसे, मोहब्बत ही नहीं है;
आख़िर मैं यूँ ही तो बे-वजह, आवारा नहीं होता!!
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एक रिश्ता है कई जन्मों से, दरमियान अपने शायद;
वरना ज़रा-सी बात में तुम मेरी, मैं तुम्हारा नहीं होता!!
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मैं एक शायर हूँ “अक्स”, और वो मेरी ही गज़ल है;
ना इश्क़ होता और ना मैं, गर तेरा इशारा नहीं होता!!….‪#‎अक्स‬
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