कितने ही दिन गुज़रे हैं पर, ना गुजरी वो शाम अभी तक; तुम तो चले गए पर मैं हूँ, खुद में ही गुमनाम अभी तक!…

प्यार पनपता है

प्यार पनपता है…. इक नन्हे पौधे की तरह खोलकर महीन मिट्टी की परतों को पाकर चंद बूंदे पानी की खोलकर अपनी हरी बाहें समा लेना…

घूस

लिखते तो हम बहुत थे मगर आज कलम चिगती ही नहीं बोलती है जरा सी घूस तो दो तो दो लफ़्ज लिख दूंगी|

“ग़ज़ल लिक्खूँगा!”

ღღ_मैं भी लिक्खूँगा किसी रोज़, दास्तान अपनी; मैं भी किसी रोज़, तुझपे इक ग़ज़ल लिक्खूँगा! . लिक्खूँगा कोई शख्स, तो परियों-सा लिक्खूँगा; ग़र गुलों का…

“जाने दे!”

ღღ__महज़ एक लम्हा ही तो हूँ, गुज़र जाने दे; इस तरह तू जिंदगी अपनी, संवर जाने दे! . ले चलें जिस डगर, दुश्वारियाँ मोहब्बत की;…

Marathi Prem Kavita

माझ्याशी आजकाल हे घडते विचित्र आहे माझ्याशी आजकाल हे घडते विचित्र आहे , डोळ्यापुढे माझ्या गा तुझेच चित्र आहे तुझे रूपवर्णन करण्यापलीकडे शब्दही अपुरे ,…

“अलग है”

ღღ_यूँ हर एक शख्स में अब, मत ढूँढ तू मुझको; मैं “अक्स” हूँ ‘साहब’, मेरा किरदार ही अलग है! . झूठ के सिक्कों से, हर…

“देर तलक”

ღღ_कल फ़िर से दोस्तों ने, तेरा ज़िक्र किया महफ़िल में; कल फ़िर से अकेले में, तुझे सोंचता रहा मैं देर तलक! . कल फ़िर से…

“नहीं देखा”

ღღ_मोहब्बत करके नहीं देखी, तो ये जहाँ नहीं देखा; मेरे महबूब तूने शायद, पूरा आसमां नहीं देखा! . तुझमें खोया जो एक बार, फ़िर मिला…

डर

इक अजीब सा डर रहता है आजकल पता नहीं क्यों, किस वजह से, किसी के पास न होने का डर या किसी के करीब आ…

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