मेरे भय्या
तेरे साथ जो बीता बचपन कितना सुन्दर जीवन था, ख़ूब लड़ते थे फिर हँसते थे कितना सुन्दर बचपन था, माँ जब तुझको दुलारती मेरा मन भी चिढ़ता था तू है उनके बुढ़ापे की लाठी ये मेरी समझ न आता था, स्कूल से जब तू छुट्टी करता मेरा मन भी मचलता था फिर भी मैं स्कूल को जाती ये मेरा एक मकसद था। बड़े हुए हम और बीता बचपन फिर तुझको बहना की सुध आई हुई जब विदा तेरी बहना तेरी आँखें भर आई, अब याद आता है बीता बचपन कैसे हम हम... »