मेरे भय्या
तेरे साथ जो बीता बचपन कितना सुन्दर जीवन था, ख़ूब लड़ते थे फिर हँसते थे कितना सुन्दर बचपन था, माँ जब तुझको दुलारती मेरा मन…
तेरे साथ जो बीता बचपन कितना सुन्दर जीवन था, ख़ूब लड़ते थे फिर हँसते थे कितना सुन्दर बचपन था, माँ जब तुझको दुलारती मेरा मन…
जिंदगी की सुंदर प्लास्टिक, कचरें में बदल जाती है अगर यूज न हो ढंग से, ऐसे ही जल जाती है कभी कभी जिंदगी से बढी…
तकदीर का क्या, वो कब किसकी सगी हुई है। दुनिया अपने हौसले से ,जमीं हुई है। खुशफहमी ना पाल कि नसीब से सब मिलेगा। कर्म…
आज कुछ लिखने को जी करता है आज फिर से जीने को जी करता है दबे है जो अहसास ज़हन में जमाने से उनसे कुछ…
ღ_ना ख़ुदी को पा सका, ना ख़ुदा को पा सका; इस तरह से गुम हुआ, मैं मुझे ना पा सका! . जिस मोड़ पे जुदा…
बैंगलोर मे हुए कावेरी विवाद को देखते हुए अपने कुछ एहसासों को आपके सामने रखने की एक कोशिश की है और शायद आप भी इससे…
प्यार पनपता है…. इक नन्हे पौधे की तरह खोलकर महीन मिट्टी की परतों को पाकर चंद बूंदे पानी की खोलकर अपनी हरी बाहें समा लेना…
ღღ_मैं कौन हूँ आखिर, और कहाँ मेरा ठिकाना है; कहाँ से आ रहा हूँ, और कहाँ मुझको जाना है! . किसी मकड़ी के जाले-सा, उलझा…
शबनम से भीगे लब हैं, और सुर्खरू से रुख़सार; आवाज़ में खनक और, बदन महका हुआ सा है! . इक झूलती सी लट है, लब…
ღღ_आज ना ही आओ मिलने, ये मुलाकात रहने दो; कुछ देर को मुझको, आज मेरे ही साथ रहने दो! . अन्धेरों की, उजालों की, हवाओं…
लिखते तो हम बहुत थे मगर आज कलम चिगती ही नहीं बोलती है जरा सी घूस तो दो तो दो लफ़्ज लिख दूंगी|
उनके मुस्कुराने से आ गयी मुस्कान हमारे चेहरे पर वरना किसी गम में डूबी जा रही थी जिंदगी मेरी
मुन्तजिर हूं मैं मोहब्बत का मयखानों की मुझे तलाश नहीं इक दरिया है जिसे मैं ढ़ूढ़ता हूं पैमानों के जामों की मुझे प्यास नहीं
कैसे लिखें इस कागज पर जब जिंदगी खाली खाली सी है स्याही है ही नहीं शब्दों को उतारने के लिए
कहां थे फ़ासले तेरे मेरे दरम्या इक वक्त था जो जम गया था हमारे बीच
ღღ_ख़ुद से लेते हुए इन्तक़ाम, देखा नहीं तुमने; अच्छा हुआ मेरा अस्क़ाम, देखा नहीं तुमने! . उतर ही जाता चेहरा मेरा, शर्म से उसी दम;…
ღღ_महबूब से मिलने की, हर तारीख़ ग़ज़ल होती है; महफ़िल में उनके हुस्न की, तारीफ़ ग़ज़ल होती है! . ग़ज़ल होती है महबूब की, बोली…
ღღ_मैं भी लिक्खूँगा किसी रोज़, दास्तान अपनी; मैं भी किसी रोज़, तुझपे इक ग़ज़ल लिक्खूँगा! . लिक्खूँगा कोई शख्स, तो परियों-सा लिक्खूँगा; ग़र गुलों का…
ღღ__महज़ एक लम्हा ही तो हूँ, गुज़र जाने दे; इस तरह तू जिंदगी अपनी, संवर जाने दे! . ले चलें जिस डगर, दुश्वारियाँ मोहब्बत की;…
ღღ_कर तो लूँ मैं इन्तजार, मगर कब तक; लौट आएगा बार-बार, मगर कब तक! . उसे चाहने वालों की, कमी नहीं है दुनिया में; याद…
माझ्याशी आजकाल हे घडते विचित्र आहे माझ्याशी आजकाल हे घडते विचित्र आहे , डोळ्यापुढे माझ्या गा तुझेच चित्र आहे तुझे रूपवर्णन करण्यापलीकडे शब्दही अपुरे ,…
ღღ_यूँ हर एक शख्स में अब, मत ढूँढ तू मुझको; मैं “अक्स” हूँ ‘साहब’, मेरा किरदार ही अलग है! . झूठ के सिक्कों से, हर…
ღღ_कभी यूँ भी तो हो, कि दिल की अमीरी बनी रहे; फिर चाहे तो ज़िन्दगानी, ग़ुरबत में बसर कर दे! . कोई एक शाम फुरसत…
ღღ_कल फ़िर से दोस्तों ने, तेरा ज़िक्र किया महफ़िल में; कल फ़िर से अकेले में, तुझे सोंचता रहा मैं देर तलक! . कल फ़िर से…
ღღ_तजुर्बे सब हुए मुझको, महज़ उससे वफ़ा करके; दुआ जीने की दी उसने, मुझे खुद से जुदा करके! . मैं कहना चाहता तो हूँ, यकीं…
ღღ_वो चाँद जो दिखता है, वो सबको ही दिखता है; महज़ देख लेने भर से ही, वो हमारा नहीं होता! . दिन तो कट ही…
ღღ_हम ढूँढ आए ये शहर-ए-तमाम, कहाँ रहते हो; अरे अब आ जाओ कि हुई शाम, कहाँ रहते हो! . इज्जत ख़ुद नहीं कमाई, विरासत ही…
ღღ_मोहब्बत करके नहीं देखी, तो ये जहाँ नहीं देखा; मेरे महबूब तूने शायद, पूरा आसमां नहीं देखा! . तुझमें खोया जो एक बार, फ़िर मिला…
ღღ__तेरे लब पे सिवा मेरे, कोई नाम आये तो बुरा लगता है; इक वही मौसम, जब हर शाम, आये तो बुरा लगता है! . जागते…
ღღ__ठहरा हुआ हूँ कब से, मैं तेरे इन्तज़ार में; आख़िर सफ़र की मेरे, कोई इब्तिदा तो हो! . मंजिल पे मेरी नज़र है, अरसे से…
ღღ__जब दर्द भी दर्द ना दे पाए, तो डर लगता है; आशिक़ी हद से गुज़र जाये, तो डर लगता है!! . डर लगता है अक्सर,…
लिखते लिखते आज कलम रूक गयी इक ख्याल अटक सा गया था दिल की दरारों में कहीं|
लफ़्जों को तो हम ढूढ कर ले आये हम अब पराये जज्बातों को कैसे बुलाये हम
क्या यही सरजमीं थी मेरे वास्ते ये कैसी कमी थी मेरे वास्ते खुद को देखू तो स्वर्ग का अहसास हैं मेरे दामन में आतंक का…
आस उनके आने की कभी खत्म नहीं होती जिद उनके आने की कभी खत्म नहीं होती
रिमझिम रिमझिम वर्षा से, जब तन मन भीगा जाता है, राग अलग सा आता है मन में, और गीत नया बन जाता है I कोशिश…
डरते डरते ही सही मैनें आखिर वो बात कह ही दी जो लफ़्जों में कभी ढल ना सके वो अहसास आज बयां हो ही गये…
लिखते लिखते स्याही खत्म हो गयी दास्ता ए इशक हमसे लिखी न गयी|
इक अजीब सा डर रहता है आजकल पता नहीं क्यों, किस वजह से, किसी के पास न होने का डर या किसी के करीब आ…
क्यों नहीं जुदा होता दर्द हमसे अब लगता है दर्द से भी इश्क हो गया है हमें|
गर फासले बढते है तो बढ जायें यूं करीब रहकर भी हम करीब थे कभी??
SHRINGAAR KI EK RACHNAA ———————————————————- mera mehboob mera sanam hai…I —————————————————– saawan ka baadal—— hai unke aankho ka kaajal mayur sa mnn hai nritymay bhaavnaao…
गरीबी ख़ुद के सिवा, औरों पे असरदार नहीं होती; शायद इसीलिए भूखों की, कोई सरकार नहीं होती !! . महज़ दो वक़्त की रोटी, और…
चाहतों की दुनिया से अब उकता गये है सब दिखता है यहां, मगर कुछ मिलता नहीं
Entry for “Poetry on Picture Contest” ღღ_हर लम्हा, हर लफ्ज़, बस एक ही आरजू; अरे, दुनिया में बस वही, एक इंसान थोड़े है! . याद…
जो आज है वो कल न होगा! गमों का पल हरपल न होगा! मिलेगी रोशनी कदमों को, दर्द का कोई सकल न होगा! …
ღღ_हर लम्हा, हर लफ्ज़, बस एक ही आरजू; अरे, दुनिया में बस वही, एक इंसान थोड़े है! . याद करते रहते हो, रात-रात भर उसको;…
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