फैंका हुआ दाल-चावल Satish Chandra Pandey 4 years ago इस गली में नजारा रोज दिखता है, प्लास्टिक की थैलियों में भर कर फैंका हुआ दाल-चावल हर रोज दिखता है। खुशबू आती है, सोचता है गरीब मन, खुदा भी किस तरह की किस्मत लिखता है, किसी के पेट भरने को दो कौर नहीं, किसी को फैंकने को मिलता है।