बंद कर देखों
बंद कर देखों
नयन अपने
खुली रहने दो ,
सब जो नयन नहीं है
नयन से देखने का
अभ्यास अविरल है
स्वयं अन्य इन्द्रियों
की दृष्टि शक्ति
कम की है
अभ्यास एक शास्वत
जीवंत परिणाम है
एक क्रिया है
कभी कण की
उपस्थिति को
स्पर्श किया है
कण की अनुभूति
खुले नयनों से नहीं हो सकती
उस कण को जिस
समय आत्मसात
कर लोगे
वहीँ से होगा प्रारम्भ
तुम्हारा जीवन
राजेश ‘अरमान’
👏👏