भोजपुरी पूर्वी होली गीत- कान्हा मारे पिचकरिया |
कान्हा मारे पिचकरिया ये सखिया
बदनवा भिंजेला मोर
कन्हईया जी खेले ले होरिया
चुनरिया रंगी देले मोर |
आवा आवा सब सखिया
सुना सब बतिया मोर
घेरी कान्हा मारा पिचकरिया
करेले बलजोरी बड़ी ज़ोर
कन्हईया जी खेले ले होरिया
कान्हा आइहे जब ब्रिन्दा हो बनवा
करिहा जनी सखीया कोई शोर |
धई के भिंजईहा यमुना के पनिया |
कन्हईया जी खेले ले होरिया |
सुना सुना सब ग्वाल हो गोपिया
होई अबकी होली हो ज़ोर
मली के लगाईहा गुलाल कन्हईया
उनकर चले न कोई ज़ोर
कन्हईया जी खेले ले होरिया
चुनरिया रंगी देले मोर |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो, झारखंड,मोब- 9955509286