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मतलबी दुनिया

मेरी जलती चिता पर लोग रोटी सेंक लेते हैं
सहारे की जरूरत पर मेरा ही टेक लेते हैं
जमाने ने मुझे समझा किसी माचिस की तीली सा
जला करके दिया अक़्सर जिसे सब फेंक देते है।
शक्ति त्रिपाठी “देव”

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