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माँ

धुएं से भरे चूल्हे में माँ का वो रोटी बनाना,

यूँही नहीं है माता का मेरी ममता लुटाना,

आँखों से बहाती है आंसू फिर हांथो से अपने खिलाती है,

आसान नहीं है मेरी माता का मेरी खातिर ये प्यार जताना,

पाल पोस कर करती रही वो मुझको बड़ा,
कितना मुश्किल होता होगा आज माँ का मुझसे यूँ दूरी बनाना॥

राही (अंजाना)

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