
मुक्तक
मेरा ख्वाब पलकों में डरा हुआ सा रहता है!
मेरा दर्द़ जिस्म में ठहरा हुआ सा रहता है!
नाकामियों से टूटी है यूँ जिन्द़गी मेरी,
मेरा दिल ख्वाहिशों से भरा हुआ सा रहता है!
#महादेव की कविताऐं”
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Anupam Tripathi - September 3, 2016, 12:21 pm
बहुत खूब।ख्वाहिशों की जिजीविषा ही जीने की अहम् शर्त है।
राम नरेशपुरवाला - September 9, 2019, 8:53 am
Good
Pragya Shukla - April 8, 2021, 11:14 pm
Waah
Kya baat h