Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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खता
लम्हों ने खता की है सजा हमको मिल रही है ये मौसम की बेरुखी है खिजां हमको मिल रही है सोचा था लौटकर फिर ना…
मुक्तक
मेरे दर्द का आलम गुजर गया है! तेरी बेरुखी का जख्म भर गया है! कोई नहीं है मंजिल न राह कोई, चाहतों का हर मंजर…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
nice
धन्यवाद
bahut khoob sir
धन्यवाद
So Nice Sir Ji
धन्यवाद
सुन्दर रचना