मुक्तक

आज भी मुझे तेरी कमी महसूस होती है!
ख्वाबों की पलकों में नमी महसूस होती है!
रूठी हुई है मंजिल भी तकदीर से मेरी,
दर्द की कदमों तले जमीं महसूस होती है!

#महादेव_की_कविताऐं'(26)

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