मुक्तक

टूट रहा हूँ मैं गमे-अंजाम सोचकर!
टूट रहा हूँ मैं गमे-नाकाम सोचकर!
मंजिल डरी हुई है दर्द-ए-बेरुखी से,
तेरी बेवफाई का पैगाम सोचकर!

मुक्तककार- #महादेव’

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

मुक्तक

टूट गया हूँ मैं गमे-अंजाम देखकर! टूट गया हूँ मैं गमे-नाकाम देखकर! रो रही है चाहत राहे-तन्हाई में, तेरी बेवफाई का पैगाम देखकर! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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