मुक्तक

हम तेरी याद में रो भी लेते हैं।
हम तन्हा गमज़दा हो भी लेते हैं।
जब रंग सताता है तेरे हुस्न का-
हम खुद को नशे में खो भी लेते हैं।

रचनाकार- #मिथिलेश_राय

Related Articles

मुक्तक

तेरी याद में हम रो भी लेते हैं! तेरे लिए गमजदा हो भी लेते हैं! जब रंग सताता है तेरे हुस्न का, खुद को मयकदों…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

New Report

Close