मुझे चाहतों का मिल गया ईनाम है

मुझे चाहतों का मिल गया ईनाम है!
डरा-डरा सा हर ख्वाब का पैगाम है!
अरमान कुचल रहे हैं दर्द के कदम से,
किसी की याद में मयकशी हर शाँम है!

 


 

तेरी चाहत का गुनाहगार हूँ मैं!
हर लम्हा तेरा ही तलबगार हूँ मैं!
हरवक्त नज़र आता है ख्वाब तेरा,
तेरी तमन्ना का दर्द-ए-इजहार हूँ मैं!

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

नज़र ..

प्रेम  होता  दिलों  से  है फंसती  नज़र , एक तुम्हारी नज़र , एक हमारी नज़र, जब तुम आई नज़र , जब मैं आया नज़र, फिर…

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

Responses

New Report

Close