तुम भले ही मुंह फुला दो
मुस्कुराना छोड़ना मत,
गीत गायें हम कभी तो
गुनगुनाना छोड़ना मत।
यदि बताएं बात दिल की
बीच में ही टोकना मत,
जो कदम आएं हमारी ओर
उनको रोकना मत।
जब कभी इजहार करना हो
तुम्हें चाहत का अपनी
बोल देना खुल के सब कुछ
क्या कहूँ यह सोचना मत।
गर रही सच्ची मुहोब्बत
वो झुका देगी अकड़
दूसरा पत्थर का हो तो
तुम स्वयं को कोसना मत।
– डॉ0 सतीश पाण्डेय, चम्पावत