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मुस्कुराना

मुस्कुरा कर बोलना,
इन्सानियत का जेवर है।
यूं तेवर न दिखलाया करो,
हम करते रहते हैं इंतज़ार आपका,
यू इंतजार न करवाया करो।
माना गुस्से में लगते हो,
बहुत ख़ूबसूरत तुम
पर हर समय गुस्से में न आया करो।
बिन खता के ही खतावार से रहते हैं हम,
यूं न हमें डराया करो।
एक दिन छोड़ देंगे हम ये जहां,
फिर ढूंढोगे तुम हमें कहां।
तो मुस्कुराओ जी खोलकर,
कह दो जो कहना है बोलकर।
हमको यूं न सताया करो,
मुस्कुराना इन्सानियत का जेवर है।
यूं तेवर न दिखलाया करो।।
____✍️गीता

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