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मेरा भारत मा

तुम्हारी कंधे पर, झुकती है हिमालय

तुम्हारी छाती से फूटती है गंगा

तुम्हारी आचल के कोने से  निकलती है हिंद महासागर

मुझे गर्व है कि जन्म इस भूमी के

जिसके लिए विश्व तरसे

मा तुम्हे प्रणाम है, मुझे हिन्दुस्तानी कहलाते

छोटी उच्चा हो जाता है, तिरंगा लहराते ।।

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