मज़बूरी
तेरी तस्वीर के आगे सर झुका नही सकती बोझिल पलकेँ मै उठा नही सकती…!!!
मज़बूरी का आलम ये कि इस बुझती शम्मा को फ़िर से मै जला नही सकती…!!!
रश्मिजैनRJ®
तेरी तस्वीर के आगे सर झुका नही सकती बोझिल पलकेँ मै उठा नही सकती…!!!
मज़बूरी का आलम ये कि इस बुझती शम्मा को फ़िर से मै जला नही सकती…!!!
रश्मिजैनRJ®
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wah..kya baat he..bahut khoob 🙂
bht khoob…..waaaaaah!!
behad khoobsurat 🙂
Umda lines
मज़बूरी का आलम ये कि इस बुझती शम्मा को फ़िर से मै जला नही सकती…!!!
बेहतरीन पंक्तियाँ