मज़बूरी

तेरी  तस्वीर  के  आगे  सर  झुका  नही  सकती  बोझिल  पलकेँ  मै  उठा  नही सकती…!!!

मज़बूरी  का  आलम  ये  कि  इस  बुझती  शम्मा  को  फ़िर  से  मै  जला  नही  सकती…!!!

रश्मिजैनRJ®


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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

शूरवीर

आज फिर गूँज उठा कश्मीर सुन कर ये खबर दिल सहम गया और घबरा कर हाथ रिमोट पर गया खबर ऐसी थी की दिल गया…

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