तुम्हारी हर एक बात सही है….
वक्त का पता तो चलता ही नहीं है
अपनों के साथ,
पर अपनों का पता चल जाता है वक्त के साथ।
मगर ए हमदम!
अपनों के प्रति ऐसी संवेदनाएं रखना,
अच्छी बात नहीं होती।
अपनों को अपना बनाने के लिए,
प्रेम की रसधार से सीचना पड़ता है।
“रिश्तों की पौध”को।।