“रिश्तों की पौध”
तुम्हारी हर एक बात सही है….
वक्त का पता तो चलता ही नहीं है
अपनों के साथ,
पर अपनों का पता चल जाता है वक्त के साथ।
मगर ए हमदम!
अपनों के प्रति ऐसी संवेदनाएं रखना,
अच्छी बात नहीं होती।
अपनों को अपना बनाने के लिए,
प्रेम की रसधार से सीचना पड़ता है।
“रिश्तों की पौध”को।।
हार्दिक बधाई हो आपको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री बनने पर
आपको भी बधाई
अतिसुंदर
थैंक्स
बधाई हो
धन्यवाद आपका
Good
थैंक्स
बहुत खूब
आभार
वाह
🙏
👏👏
बेहतरीन
Thank u