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लेख

कर सकें तो मदद करें मजदूर पर राजनिति नहीं

आये दिन देखने को मिल रहा है सभी राजनीति पार्टियां मजदूरों पर राजनीति करने के लिए सोशल मीडिया पर एंव टीवी चैनलों पर तेजी से जुटे हुए है। मैं जानना चाहता हूं कि आखिर यह कहां तक सही है राजनीति पार्टीयों का कहना है कि हमारे ध्दारा मजदूरों के हित में तमाम प्रकार की सुविधाओं पर कार्य किया जा रहा है। भूखे को भोजन प्यासे को पानी एवं पैदल मजदूरों के लिए साधन का व्यवस्था किया जा रहा हैं। इसके बावजूद भी मजदूर रोड़ पर बिलख रहे हैं तड़प रहें हैं भूखे पेट व बिना किसी यातायात व्यवस्था के बिना सकैडों किलोमीटर दूर चलने पर मजबूर है। इन सारे विफलताओं के बावजूद भी मजदूरों के ऊपर राजनीति बन्द होने का नाम नहीं ले रहा है। पलायन करना मजबूरों का मजबूरी नहीं बल्कि सरकार के विफलताओं का संदेश है अगर मजदूर को खाने के लिए भोजन मिलता और उनके समस्याओं को ध्यान में रखा जाता तो मजदूर कदापि पलायन का विचार अपने मन में नहीं लाते। लेकिन मजदूर के समस्याओं को गिने चुने नेता ही समझ पा रहें हैं बाकि अन्य नेता इस मौके का फायदा उठाकर अपना राजनीति कैरियर को चमकाने में लगें हैं। शायद उन्हें इस बात की खबर तक नहीं जिन्हें वे वर्षो से बेवकूफ समझते आ रहें हैं अब वे समझदार हो गये है सही गलत के मायने को समझने लगे हैं। मजदूरों के दुःख दर्द को समझते हुए कुछ लोग निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं भला हो सभ्य समाज एवं एनजीओ का जो मजदूरों को निरन्तर खाने पीने का सामान मजदूरों को हाईवे से लेकर गली मोहल्ले चौराहों तक उपलब्ध करा रहा है। यहां तक एनजीओ भटकते मजदूरों को आराम करने के लिए टेंट व्यवस्था एवं रोगी मजदूरों को दवा मुहैया करा कर उनके आंसुओं को पोंछ रहा है नहीं तो कोरोना के आंकड़ों से ज्यादा भूख से मरने वालों का आंकड़ा होता। तब राजनीति पार्टीयों को अपना मुंह छिपाना पड़ता अगर राजनीति पार्टियां सच में मजदूरों के लिए कुछ करना चाहती है तो उन्हें सड़कों पर चल रहे नंगें पांव मजदूर, भूखे मजदूर,लाचार मजदूर का सहायता करें और उन्हें उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाएं। तभी उनके राजनीति का मकसद पूर्ण होगा टीवी चैनल पर बैठकर डिबेट करने से और भाषण देने से मजदूरों का कभी भला नहीं हो सकता इस बात को राजनिति पार्टीयों को बखूबी समझना चाहिए।

महेश गुप्ता जौनपुरी
जौनपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल – 9918845864

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